Annotated Matter About 59 years back the constitution of India was promulgated in 1950 on the basis of freedom, equality, brotherhood and adult franchise with parliamentary form of government inherited from England. The Nineth Lok Sabha lasted only for one year, two months and 26 days (18 December, 1989 to 13 March, 1991), The Nineth Lok Sabha had 109 sittings in its 7 sessions for 754 hours. Along with seven amendments, 63 Bills were passed – Prasar Bharti, National Commission for Women Act, were the milestones among them. The government replied 21,550 questions asked by the members. This volume is useful for researchers, parliamentarians and academicians.
लोकतंत्रा की अवधारणा भारत के लिये नई नहीं है। वस्तुतः स्वायत्तशासी शासन का मूल उसके सुदूर अतीत में ही अन्र्तनिहित है। देश में लगभग इकतालिस वर्ष पूर्व, स्वतंत्राता, समानता, बंधुता और विधि सम्मत शासन के सिद्धान्तों पर आधारित संविधान को अंगीकृत किया था। भारत ने संसदीय प्रणाली के शासन का वरण इसलिये किया क्योंकि वह यहां के लोगों की प्रक्रति के लिये उपयुक्त था। उसने सर्वव्यापी वयस्क मताधिकार के आधार पर नौ संसदों का निर्वाचन किया और इस प्रकार वह राजनैतिक रूप से जागृत मतदाताओं की आशाओं के अनुरूप सिद्व होने में समर्थ हुआ। एक प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की छवि तथा उसकी विश्वसनीयता अधिकांशतः उसके सदस्यों की भूमिका तथा कार्यकलापों पर निर्भर करती है। अतः प्रस्तुत अध्ययन का उद्देश्य नौवीं लोक सभा (18 दिसम्बर 1989 से 31 मार्च 1991) द्वारा अपने संक्षिप्त किन्तु घटनापूर्ण जीवनकाल (एक वर्ष, दो महीने तथा छब्बीस दिन) के दौरान प्रमुख क्षेत्रों में किये गये कार्य का विश्लेषण प्रस्तुत करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति लब्ध-प्रतिष्ठ सांसदों तथा अन्य लोगों के लेखों, तथा संक्षिप्त प्रस्तावनात्मक टिप्पणियों से युक्त विवरणों और सांख्यिकीय तालिकाओं द्वारा करने की चेष्टा की गयी है। पिछली लोक सभाओं के सदस्यों तथा उनके द्वारा किये गये कार्य की पृष्ठभूमि का एक तुलनात्मक चित्रा प्रस्तुत करने की चेष्टा भी की गयी है। नौवीं लोक सभा, जिसकी 7 सत्रों के दौरान 109 बैठकें हुईं थीं तथा जो 754 घंटे चली थीं, की एक उल्लेखनीय विशेष्शता यह है कि उसके कार्यकाल में 7 संविधान संशोधन विधेयकों सहित 63 विधेयक पारित किये गये। इनमें से जो दो प्रमुख विधेयक पारित किये गये, उनके नाम हैंः प्रसार भारती (भारतीय प्रसारण निगम) विधेयक तथा राष्ट्रीय महिला आयोग विधेयक। इन्हें संसद द्वारा अधिनियम बनाये जाने को इतिहास में मील के पत्थर माना जा सकता है। सरकार भी इस बात का श्रेय ले सकती है कि उसने नौवीं लोक सभा के सदस्यों द्वारा भिन्न-भिन्न विषयों पर पूछे गये 21ए550 प्रश्नों के उत्तर दिये। आशा है कि यह अध्ययन शोधार्थियों, सांसदों तथा संसदीय संस्थाओं की कार्यप्रणालियों तथा प्रक्रियाओं के अध्ययन में लगे अन्य सभी व्यक्तियों के लिये सहायक सिद्ध होगा तथा उन्हें अब तक की उपलब्धियों तथा आधुनिक संसद से अपेक्षित बहुविध गतिविधियों से अवगत करायेगा।
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