Annotated Matter The Volume is a commentary on traditional matters and modern computer technology, and is useful for the researchers, scholars and academicians. परम्परागत विषयों पर गवेशणात्मक शैली और कम्प्यूटर आधारित कार्यक्रम जैसी अधुनातन तकनीकी विषयों पर व्याख्यात्मक शैली में लिखे गए आधिकारिक लेखों के इस संग्रह यथार्थ के समानान्तर में परम्परा और आधुनिकता का बेजोड़ प्रदर्शन विद्यार्थियों, शोधार्थियों और प्रतियोगिता परीक्षार्थियों और चिन्तकों को संग्रहणीय महत्वपूर्ण सामग्री उपलब्ध कराता है। यथार्थ के समानान्तर की विशयवस्तु ऐसे ज्वलंत सामाजिक, आर्थिक एवं वैज्ञानिक विषयों पर गम्भीर चिन्तन से निर्मित होती है जो अध्ययन की विभिन्न पद्यतियों और दृष्टिकोणों से परीक्षित होने के साथ-साथ रोचक है। नवीन शब्दावली से युक्त यथार्थ के समानान्तर में संकलित लेखों की भाषा चित्रात्मक, मिश्रित, सरल, बोधगम्य और विचारों को वहन करने में सक्षम है। यथार्थ के समानान्तर में संग्रहीत लेखों के माध्यम से लेखक ने एक ऐसे यथार्थ की झाॅंकी प्रस्तुत की है जो अपने व्यक्त रूप के समानान्तर अव्यक्त रूप में संचालित होते हुए भी व्यक्त से अधिक अर्थवान एवं महत्वपूर्ण है। पंक्तियों के मध्य और पंक्तियों के पार का यथार्थ प्रस्तुत करने का यह सराहनीय प्रयास पुस्तक की उपादेयता को बढ़ा देता है। सम्मति यथार्थ के समानान्तर पुस्तक में डाॅ. विक्रम सिंह के सारे निबन्ध आँखों देखे सच का ही अपने ढंग से बखान करते हैं। वहाँ भी जहाँ लेखक ने अपना कोई आग्रहपूर्ण मत प्रस्तुत किया है। उसकी भरसक कोशिश यही दिखाई पड़ती है कि उसे अनुभव-प्रसूत तथ्य या दृष्टान्त से पुष्ट किया जाय। इसीलिए पुस्तक में आदि से अन्त तक एक सहज पठनीयता बनी रहती है और विचारों का यह खुलापन भी उसके इस गुण को और बढ़ाता है। एक महत्वपूर्ण बात इस किताब के सम्बन्ध में यह है कि इसमें कई सर्वथा नए विषयों को भी विचार के दायरे में लाने की कोशिश की गई है, जैसे सूचना प्रौद्योगिकी या जनसंचार के कुछ अन्य अधुनातन क्षेत्रा। इस दृष्टि से इस निबन्ध संग्रह की उपयोगिता स्वतः बढ़ जाती है – खासतौर से युवा पाठकों के लिए। कम्प्यूटर तथा इंटरनेट के जटिल तंत्रा को समझाने वाले लेख प्रासांगिक हैं।
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