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जाग उठो (Jaag Uthoo)
Book ID NBC855
ISBN No. 81-7211-267-X
Book Name जाग उठो (Jaag Uthoo)
Author/s name/s : अवस्थी ब्रह्मदत्त (Awasthi Braham Dutt)
Publisher Name Northern Book Centre
Publishing Year 2008
Book Price (Printed) INR 200   
Book Price (Our Price) INR 180   
Book Size 22 × 14 cm
Book Page xiv + 162
Book Weight 235 gms


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Book Summary

Annotated Matter

The book Jag Utho presents some very good thoughts and inspires us to keep ourselves awakened to face new situations and have new experiences as life goes on.

प्रेस विज्ञप्ति


पुस्तक: राष्ट्र जागरण का अप्रतिम उदबोधन

डाॅ. राममनोहर  लोहिया  के  लोकसभा चुनाव संयोजक रहे डाॅ. ब्रह्मदत्त अवस्थी की पुस्तक जाग उठो का लोकार्पण करते हुए मुख्य अतिथि माननीय श्री भारतेन्दु प्रकाश सिंघल ने कहा कि जिस देश को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था जिस देश की संस्कृति, अर्थव्यवस्था विश्व में अग्रणी थी आज उस देश की अर्थ-व्यवस्था अन्य देशों की अर्थ-व्यवस्थाओं पर निर्भर-सी हो गई हैं। आज यह देश भ्रष्टाचार, आतंकवाद आदि ऐसी ही कई विषम परिस्थितियों से जूझ रहा है क्योंकि भारत वर्ष की अपनी चेतना उसकी अपनी आत्मा खो गई है और उसमें विदेश की आत्मा बस गई है। परकाया प्रवेश का उदाहरण देते हुए उन्होने स्पष्ट किया कि अब शरीर तो भारत का है पर उसमें आत्मा विदेश की है जिसे न तो हम पूरी तरह से स्वीकार कर पा रहे हैं और न ही तिरस्कृत कर पा रहे हैं।


राज्य सभा के पूर्व सांसद श्री सिंघल ने कहा कि आज हिन्दू इस देश में द्वितीय श्रेणी का नागरिक हो गया है दिल्ली में हुए एनकाउंटर में शहीद हुए श्री शर्मा की बहादुरी को सलाम न करते हुए कुछ तथाकथित राजनेता उसे फर्जी मुठभेड़ करार देने में अपनी शान समझते हैं तथा मीडिया भी ऐसी बातों को बढ़ावा देने में अपनी शान समझती है। उन्होने कहा कि इन्सपेक्टर शर्मा एक बहादुर प्यारा बच्चा था।


नार्दर्न बुक सेन्टर 4221/1 अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली से प्रकाशित मात्र दो सौ रुपये की पुस्तक जाग उठो के लेखक डाॅ. ब्रह्मदत्त अवस्थी ने कहा कि - जब राष्ट्र राज्य में बदल गया हो और सत्ता के हाथों में बँध गया हो तब राष्ट्र चेतना और राष्ट्र चिन्तन की बात करना विरलों का ही काम है।


उनकी इस कृति में राष्ट्र चैतन्य का उबलता हुआ ज्वार है। अन्सत की गहराई से फूटी राष्ट्र ध्वंस की पीड़ा है, व्यक्ति के पशुता के स्वरूप में ढलते हुए स्वरूप का दर्द है, स्वेच्छा से विदेशी दासता में अपने को जकड़ते जाने का दुःख है, आक्रमण और आतंकवाद, अपराध और अत्याचार, सत्ता और वोट के सामने घुटने टेक रिरियाते हुए नेतृत्व को देख मानसिक वेदना है। भारत की सन्तान और भारत को अपनी ही धरती और अपने रक्त से काट विदेश में बदलते जाने की असह्य पीड़ा है।


‘लोकतन्त्रा सत्ता का तन्त्र नहीं, लोक का तन्त्र है’ ‘विधान नहीं, व्यक्ति चाहिए’ ‘इण्डियन यूनियन का वोटर नहीं, भारत माँ की सन्तान चाहिए’ आदि गहन चिन्तन से निकले सूत्र पाठक या श्रोता के हृदय में गहरे उतरते चले जाते हैं। ऐसी सामयिक और सशक्त कृति राष्ट्र जागरण का अप्रतिम उद्बोधन है।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक परम पूज्य श्री सुदर्शन जी ने इस पुस्तक का पुरोवाक् लिखते हुए कहा है कि -


जनतंत्र में समाज-मन की आकांक्षा का सम्मान महत्वपूर्ण है। सत्ताधारी नेताओं द्वारा राष्ट्रहित को ओझल कर अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति हेतु जो प्रयास किए जा रहे हैं उन्हें देखकर समाज मन को दुःख पहुँचता है। राष्ट्र हित से सम्बन्धित सभी विषयों पर सामान्य समाज की आकांक्षाओं को उजागर करतेे रहना जनतंत्र में अत्यन्त आवश्यक है। राष्ट्रहित सम्बन्धी विषयों पर जन जागृति के प्रयास सर्वत्र होते रहना, निःसंकोच होते रहना महत्वपूर्ण कार्य है। शासन, पक्ष, क्षेत्र, पंथ, जाति से ऊपर उठकर राष्ट्रहित की सोच बढ़े, यही सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान है।


श्री ब्रह्मदत्त अवस्थी जी अपनी लेखनी द्वारा ऐसे ही समसामयिक विषयों पर समाज मन की आकांक्षाओं को उजागर करने का प्रयास करते आए हैं। राष्ट्रहित-समाजहित की सर्वोपरि कसौटी पर सारी समस्याओं का सटीक मूल्यांकन समाज के सम्मुख रखने का धैर्यपूर्ण कार्य आपने किया है। जाग उठो पुस्तक में संकलित उनके लेख समाज मन के स्पंदन में सक्रियता लाते हैं। विश्वास है कि श्री ब्रह्मदत्त अवस्थी द्वारा लिखित - जाग उठो यह पुस्तक भी समाज में राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानने का भाव जगाने में समर्थ सिद्ध होगी।


श्री तरूण विजय जी ने पुस्तक की भूमिका लिखते हुए कहा है कि - भारतीय संस्कृति और संस्कारों के उद्भट विद्वान् डाॅ. ब्रह्मदत्त अवस्थी जी ने हिन्दू धर्म के मूल संदेश को अपने जीवन में जिया है। वे राष्ट्रीय अस्मिता और मनीषा के अनन्य साधक हैं। उनकी पुस्तक जाग उठो भारत एवं भारतीयता की सेवा में अर्पित विद्यादीप्त पुष्प हैं। मुझे विश्वास है राष्ट्रीयता से ओतप्रोत उनके विचारों को समेटे हुए यह पुस्तक पाठकों को प्रेरित करने में समर्थ होगी।


भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष प्रोफेसर बलराज मधोक लिखते हैं कि - डाॅ. ब्रह्मदत्त अवस्थी की ‘जाग उठो’ पुस्तक मैंने उसको देखा। बहुत ही सुन्दर है। इसमें लिखे गये विचार बहुत अच्छे हैं। मैं चाहता हूँ कि यह पुस्तक देश के अधिकांश लोगों के हाथों में पहुँचे जिससे कि भारतीय विचार-मूल्य प्रभावी ढंग से उनके जीवन पर अपना प्रभाव छोड़ सकें।


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्रीमती दमयन्ती गोयल ने कहा कि अड़तालिस निबन्धों वाली यह प्रस्तक हर देशभक्त के हाथों में होनी चाहिए। समय बदला है इस लिए समस्याओं का समाधान भी परिस्थितियों के अनुरूप चाहिए। अन्त में प्रकाशक श्री प्रताप वैश्य ने समारोह में उपस्थित सभी प्रबुद्धजनों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम की व्यवस्था डाॅ. प्रभाकर अवस्थी तथा संचालन डाॅ. रमा सिंह के द्वारा किया गया।


इस पुनीत अवसर पर डाॅ. एच.एन. सिंह, श्रीमती आरती सिंह, डाॅ. शिवानी शर्मा, डाॅ. राजीव शर्मा, डाॅ. अन्जलि त्यागी, डाॅ. नरेश चन्द्र त्यागी, डाॅ. वीरेश्वर त्यागी, श्री रामबाबू पाठक, श्री तेजपाल सेठी, श्री मयंक गोयल, श्रीमती शारदा अवस्थी, श्रीमती अर्चना अवस्थी, डाॅ. आरती बंसल, श्री सोमदत्त शर्मा, श्री शिशिर दत्त शर्मा, श्री प्रशान्त दीक्षित, श्री मुकेश शर्मा, श्री हरिदत्त शर्मा, श्री कृष्ण मित्रा, आदि व संघ परिवार, भारतीय जनतापार्टी व विश्व हिन्दू परिषद् के पदाधिकारी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

Book Content

पुरोवाक् (कुप. सी. सुदर्शन)

भूमिका (तरुण विजय)

लेखकीय

  • भारत सनातन व पुरातन हिन्दू राष्ट्र है

  • आतंक नहीं आक्रमण

  • इस्लाम और ईसाइयत का आक्रमण

  • समाज अपने दायित्व का शस्त्रा सम्भाले

  • बदलते प्रेरणा पुरुष

  • उतार फेंको दासता का लबादा

  • व्यक्ति का निर्माण करो

  • आक्रमणकारी एक हैं

  • सर्वव्यापी भ्रष्टाचार

  • इस्लामी आक्रमण

  • इस्लामी जनसंख्या का विषधर

  • बढ़ती मुस्लिम जनसंख्या देश को पाकिस्तान न बना दे

  • देश को काट रही है अँग्रेजी की तलवार

  • संसद की गरिमा पर कालिख

  • धर्म की धरती धर्म-निरपेक्ष हो गई

  • आज की राजनीति और राष्ट्र

  • लोक-साधक नहीं लोक-विनाशक हैं ये चुनाव

  • डिमोक्रेसी के चुनाव-युद्ध

  • हिन्दू-हित

  • भारत को अपनी पूर्णता में निखरने दो

  • राम जन्म-भूमि पर आक्रमण

  • जागो राष्ट्र संकट में है

  • क्या यह लोकतंत्र है?

  • लोक के हाथों सत्ता न आ सकी

  • धर्म-क्षेत्रे कुरुक्षेत्रे

  • पापी वोट के लिए

  • ध्वस्त होने से अमेरिका बच नहीं सकता

  • दल के नहीं देश के प्रत्याशी बनें

  • चुनाव देश की धड़कन और विदेशी आकर्षण के बीच

  • करतब कषनून के

  • वार्ता पाकिस्तान से

  • स्वयंसेवक अपने अस्तित्व को प्रखरता से प्रकट करें

  • राष्ट्र चेतनापूर्ण कश्मीर फिर षड्यन्त्र में

  • राजनीति, राष्ट्र की धड़कन से निकलनी चाहिए

  • हिन्दुत्व का विराट् स्वरूप

  • ताकि हम दुनिया को चेहरा दिखा सकें

  • अक्षरधाम मन्दिर पर आक्रमण भारत की सामथ्र्य और सत्ता को एक और चुनौती

  • पाकिस्तान का अस्तित्व आतंकवाद से है

  • राष्ट्र अस्मिता पर प्रहार प्रारम्भ

  • राज्य ने राष्ट्र की छुट्टी कर डाली

  • भारत-चीन की आर्थिक धुरी विश्व का चित्र बदल सकती है

  • राष्ट्र का समुत्कर्ष राष्ट्र की सन्तान का धर्म है

  • आदर्श बौने बनाए जा रहे हैं

  • चुनाव की राह पर चरित्र-यात्रा

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