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Book Summary
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पृष्ठभूमि के रूप में कुमाऊँ क्षेत्र की भौगोलिक, ऐतिहासिक और समाज - भाषिक विशेषताओं का निदर्शन कुमाऊँ के स्थान-नामों के प्रमुख आधार और उनकी सार्थकता का मूल्यांकन; इतिहास, समाज, संस्कृति, धर्म, भाषा, भूगोल, प्रकृति, परिवेश, भू-संरचना, वनस्पति, जीव-जंतु आदि का स्थान-नाम निर्माण में योगदान तथा उनका विश्लेषण कुमाऊँ की विभिन्न जातियों, प्राचीन, प्रजातियों, नवागत मानव-समुदायों, मानव-प्रवृतियो परम्पराओ, रीति-रिवाजों, धार्मिक मान्यताओं आदि का स्थान-नामों पर प्रभाव और सामाजिक जीवन से सम्बंधित स्थाननामों का महत्व-प्रतिपादन एवं उनका विवेचन रूप-रचना के आधार पर कुमाऊँ के एकपदीय, द्विपदिय, बहुपदीय, सामासिक और वाक्यांशमूलक स्थान-नामों का भाषिक-विश्लेषण व्याकरणिक कोटियों के निर्धारण सहित संज्ञा पद, विशेषण पद और प्रत्यय-वितरण का व्यापक- विवेचन, प्रतत्यो पर भारतीय आर्य भाषाओ, आर्येतर और द्रविड़ भाषाओ के प्रभाव का आकलन द्विपदिय स्थान-नामों में विभिन्न प्रकार के पूर्वपदों और परपदों की रचना, उतपत्ति एवं अर्थ की दृष्टि से निरूपण और उनमें भाषागत, विषयगत, क्षेत्रगत, आदि भिन्नताओं का घोतन रचना व् गठन की दृष्टि से सामासिक और वाक्यांशमूलक बहुपदीय स्थान नामों का आरेखण
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Book Content
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अनुक्रमणिका प्राक्क्थन आभार भूमिका
- कुमाऊँ : सामान्य परिचय
- कुमाऊँ : भाषाएँ और बोलियाँ
- कुमाऊँ के स्थान-नामों के प्रमुख आधार
- कुमाऊँ के स्थान-नामों का सामाजिक अध्ययन
- कुमाऊँ के स्थान-नामों का भाषिक अध्ययन
संदर्भ उपसंहार संदर्भ ग्रंथ-सूची मूल स्रोत एवं संस्कृत ग्रंथ कोश ग्रंथ हिंदी ग्रंथ अंग्रेजी ग्रंथ पत्र- पत्रिकाएँ ताम्रपत्र शब्दानुक्रमणिका
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